आतंकवाद
भारत में नक्सलवाद भी अब आतंकवाद का रूप ले चुका है| पहले नक्सलवाद का उद्येश्य अपने वास्तविक हक की लड़ाई थी किंतु अब यह बहुत ही हिंसक विद्रोह के रूप में देश के लिए एक गंभीर समस्या एवं चुनौती बन चुका है| प्रारंभ में यह विद्रोह पश्चिम बंगाल तक सीमित था किंतु धीरे-धीरे यह है उड़ीसा, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ़ क्षेत्रों में भी फैलता गया| वैसे तो आतंकवाद के प्रमुख कारणराजनीतिक स्वार्थ, सत्ता एवं धार्मिक कट्टरता है किंतु नक्सलवाद जैसे विद्रोही गतिविधियों के सामाजिक कारण भी हैं जिनमें बेरोजगारी एवं गरीबी प्रमुख है विश्व के अधिकतर आतंकवादी संगठन युवाओं की गरीबी एवं बेरोजगारी का लाभ उठा कर ही उन्हें आतंकवाद के अंधे कुएं में कूदने के लिए उकसाने में सफल रहते हैं और बेरोजगार युवा इस काम को करने के लिए तैयार भी हो जाते हैं|
आतंकवाद के संदर्भ में सार्वधिक बुरी बात यह है कि कोई नहीं जानता कि आतंकवादियों का अगला निशाना कौन होगा? इसलिए आतंकवाद नेआज लोगों के जीवन को असुरक्षित बना दिया है और यह मानव जाति के लिए कलंक बन चुका है| आतंकवाद की समस्या का सही समाधान यही हो सकता है कि जिन कारणों से इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है हमें उन्हें दूर करना चाहिए| भारत में कुछ इलाकों में लोग अपने हक के लिए भी नक्सलवाद का सहारा लेते हैं ऐसे इलाकों की पहचान करके उन्हें उन का अधिकार प्रदान कराना अधिक आवश्यक होगा ताकि वह आतंकवाद से दूर रहें|
पाकिस्तान कश्मीर को अपना राज्य बनाने के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देता है और वह पाकिस्तान में आतंकवादियों को ट्रेनिंग भी देता है ताकि भारत में हमला करते रहे हाल ही में पाकिस्तान के आतंकवादियों ने पठानकोट में हमला किया, उरी अटैक किया, नगरोटा अटैक, कभी बारामुला अटैक किया वह अपनी गतिविधियों को अंजाम देते ही रहता है ताकि किसी भी तरह वह कश्मीर को भारत से लग कर दें| पाकिस्तान ने इन सारी घटनाओं को अंजाम दिया फिर भारत के प्रधानमंत्री ने इसका जवाब दिया और पाकिस्तान में एक सर्जिकल स्ट्राइक कर दी| सर्जिकल स्ट्राइक करने के बावजूद भी पाकिस्तान अब भी आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और कश्मीर को भारत से अलग करने की सोचता रहता है|
आतंकवाद की समस्या के समाधान के लिए पूरे विश्व को मिलकर एक व्यापक रणनीति बनानी होगी| आतंकवाद आज वैश्विक समस्या का रूप ले चुका है इसलिए इसका संपूर्ण समाधान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं प्रयासों से ही संभव हो पाएगा| इसमें संयुक्त राष्ट्रीय संघ, इंटरपोल एवं अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय को भी अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी और आतंकवाद की समस्या को हमें जड़ से खत्म करना होगा|
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